श्री राधा किशोरी सेवा धाम में हुआ संत संगोष्ठी का आयोजन
रामचरितमानस को बताया समाज का आधार
वृंदावन । परिक्रमा मार्ग स्थित श्री राधा किशोरी सेवा धाम पर भागवत कथा के अंतर्गत संत विद्वतजन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विद्वानों द्वारा श्रीरामचरितमानस की प्रतियां जलाए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की गई।
व्यासपीठ से बोलते हुए महामंडलेश्वर इंद्रदेवान्द सरस्वती महाराज ने कहा कि सनातन धर्म हमेशा से ही समाज को नई दिशा व दशा प्रदान करने वाला रहा है। सनातन का अर्थ ही सृष्टि का प्रारंभ है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता पर बोलते हुए कहा कि केवल सनातन धर्म ही है, जो सब को एक सूत्र में बांधता है और यही राष्ट्रीयता का सूत्रधार है। रामचरितमानस की प्रतियां जलाए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि रामचरितमानस हमें जीवन जीने की कला सिखाती है और जो लोग रामचरितमानस का अपमान कर रहे हैं। वह वास्तव में अपने पूर्वजों का अपमान कर रहे हैं। रामचरितमानस एक ऐसा महाग्रंथ है, जो लाखों बरसों की सनातन संस्कृति को अपने अंदर समेटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी को रामचरितमानस की कोई चौपाई समझ में नहीं आ रही, तो निसंकोच हमारे पास आए हम उसकी समस्या का समाधान कर देंगे। विद्वत गोष्टी में बोलते हुए प्रसिद्ध भागवताचार्य पुराण मनीषी कौशिक जी महाराज ने कहा कि सनातन का अर्थ ही शाश्वत है, जो पृथ्वी के प्रारंभ से है और अंत तक रहेगा। उन्होंने कहा इस प्रकार के आयोजनों से आमजन अपने यथार्थ ज्ञान को प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस की चौपाई “राम ब्रह्म परमार आपा”से स्पष्ट होता है कि जहां परमार्थ है वहां स्वयं भगवान मौजूद रहते हैं और सब कुछ उसी परमपिता ब्रह्मा की कृपा से संभव है। इस अवसर पर वृंदावन के प्रसिद्ध भागवताचार्य और विद्वत जनों ने भी धर्म पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में नगर की धर्म परायण जनता ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया।