चिंतन:जीवन का तिरस्कार नहीं अपितु इससे प्यार करो

 

राधे – राधे

॥ आज का भगवद चिन्तन ॥

मनुष्य देह में जन्म मिल जाना ही इस जीवन का सर्वश्रेष्ठ उपहार है। जीवन में सब कुछ पाया जा सकता है मगर सब कुछ देने पर भी जीवन को नहीं पाया जा सकता है। जीवन का तिरस्कार नहीं अपितु इससे प्यार करो।

जीवन को बुरा कहने की अपेक्षा जीवन की बुराई मिटाने का प्रयास करो, यही समझदारी है। जीवन में बुराई अवश्य हो सकती है मगर जीवन बुरा कदापि नहीं हो सकता। जीवन एक अवसर है श्रेष्ठ बनने का, श्रेष्ठ करने का, श्रेष्ठ पाने का।

जीवन की दुर्लभता जिस दिन किसी की समझ में आ जाएगी उस दिन कोई भी व्यक्ति जीवन का दुरूपयोग नहीं कर सकता।जीवन को बुरा केवल उन लोगों के द्वारा कहा जाता है जिनकी नजर फूलों की बजाय काँटो पर ही लगी रहती है। जिस दिन जीवन का मूल्य आपकी समझ में आ जायेगा उस दिन से आप जीवन का तिरस्कार करने से भी डरेंगे।

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