निहत्थे वीर अभिमन्यु को कौरवों ने धोखे से मार डाला वीर अभिमन्यु के पराक्रम का हुआ मंचन

निहत्थे वीर अभिमन्यु को कौरवों ने धोखे से मार डाला
वीर अभिमन्यु के पराक्रम का हुआ मंचन

चक्रव्यूह में प्रवेश की थी जानकारी, पर निकलने के विषय मे था संशय- इसी कारण कौरवों ने घात किया

उपेन्द्र कुमार तिवारी (दुद्धी तहसील ब्यूरो / सोनभद्र / उत्तर प्रदेश)

दुद्धी-सोनभद्र। स्थानीय कस्बे के तहसील प्रांगण में चल रहे श्री रासलीला मंचन के नवें दिन की लीला में वीर अभिमन्यु के शौर्य पराक्रम की लीला का सुंदर मंचन किया गया जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये।

महाभारत के युद्ध मे जब कौरव व पांडव आमने सामने थे तो युद्ध अपने चरम पर हो रहा था। कौरव के पास अर्जुन के बाणों का कोई विकल्प नही रह गया तो कौरवों ने चक्रव्यूह बनाने की योजना बनाई और इससे अर्जुन को दूर रखने का उपाय भी निकाला।अर्जुन से युद्ध करते कर्ण उन्हें रणभूमि से बहुत दूर ले गया। इधर चक्रव्यूह में शेष पांडव फसते चले आ रहे थे,इसका कोई भी तोड़ पांडव के पास नही था। चक्रव्यूह को भेदने का उपाय अर्जुन के अलावा किसी भी पांडव के पास नही था इस बात से सभी पांडव गण चिंतित थे।और उन्हें युद्ध मे पराजय का भय सताने लगा,की उसी समय अर्जुन पुत्र अभिमन्यु आये और पांडव की चिंता जानी। इस पर उन्होंने कहा कि जब मैं माँ के गर्भ में था तो पिताश्री माता जी को चक्रव्यूह तोड़ने की बात सुना रहे थे वो चक्रव्यूह में प्रवेश की बात बता कर निकलने की बात कह ही रहे थे कि माँ को नीद आ गयी और मैं निकलने वाली बात नही जान पाया फिर भी आप चिंता न करे मेरे पराक्रम के आगे सारे चक्रव्यूह टूट जायेगे। चारो पांडवों के बार बार मना करने के बाद भी अभिमन्यु युद्ध के लिए जिद पर अड़ा रहा और अंत मे युद्ध की आज्ञा मिलते ही वो शेर की भांति कौरवों के सेना पर टूट पड़ा। चक्रव्यूह के सातों द्वार पर सभी को पछाड़ता हुआ वो बालक अंदर अंतिम द्वार तक पहुँच गया जहां पर दुर्योधन था।उसने बालक की वीरता पर खुशी प्रकट कर उसे जीत की बधाई भी दिया और यही अब युद्ध समाप्त हुआ,अब किसी से कोई युद्ध नही होगा कह कर उस दुराचारी दुर्योधन ने वीर अभिमन्यु को अपने गले लगाने के बहाने पास बुलाया और जैसे ही वो वीर बाँकुरा अभिमन्यु अपने चाचा दुर्योधन के छाती से लगा उस अधर्मी ने उस 16 वर्षीय बालक की कटार भोक कर हत्या कर दी और पीछे से दुर्योधन के सहयोगी जैसे जयद्रथ, जरासन्ध, शकुनि,दुस्सासन आदि ने भी तलवारें भोक दी।इस प्रकार कौरवों ने एक अकेले निहत्थे बालक को मिलकर सात सात लोगों ने मिलकर धोखे से मार डाला। वीर अभिमन्यु बालक मरते समय अपने पिता को अपनी मृत्यु का बदला लेने की बात कह कर वीर गति को प्राप्त हुआ। बाद में अर्जुन व अन्य पांडवों ने युद्ध मे इसका बदला लिया।
इस प्रकार मंचन मण्डली द्वारा सुंदर तरीके से उक्त लीला का सजीव व मनोहारी मंचन किया गया।
लीला के बीच बीच मे व्यास जी श्री जी द्वारा प्रस्तुत शौर्य गीत व भजन,सूरदास के पद गायन तथा अन्य भजन अर्धावली ने दर्शकों को आनन्दित कर दिया। आयोजन व्यवस्था में आयोजन समिति के सभी पदाधिकारि व सदस्य सहित सुरक्षा व्यवस्था में स्थानीय कोतवाली के आरक्षी जवान भी लगे रहे। श्री रासलीला के दशवें दिन भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता की लीला का मंचन किया जायेगा।

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