भारत सरकार ने देश में स्थापित सरकारी, अर्द्धसरकारी और प्राइवेट कंपनियों को अपने लाभांश का दो प्रतिशत सीएसआर के मद में खर्च करने के लिए नियम बनाए है

उपेन्द्र कुमार तिवारी (दुद्धी तहसील ब्यूरो / सोनभद्र / उत्तर प्रदेश)
(सोनभद्र) भारत सरकार ने देश में स्थापित सरकारी, अर्द्धसरकारी और प्राइवेट कंपनियों को अपने लाभांश का दो प्रतिशत सीएसआर के मद में खर्च करने के लिए नियम बनाए है जिसका पालन उपरोक्त सभी कंपनियां नही कर रही हैं जिसके कारण उन क्षेत्रों का विकास नही हो पा रहा है जहाँ आवश्यकता थी। सरकार ने नियम बनाए हैं कि अपने अपने क्षेत्र में स्थापित कल कारखाने अपने क्षेत्रों के पिछड़े इलाकों का विकास अपने वार्षिक लाभांश के दो प्रतिशत से करेंगे लेकिन ऐसा हो नही रहा है ।

भारत की लगभग 16 हजार कंपनियों में से केवल 6 प्रतिशत कंपनियों ही इस योजना को अमलीजामा पहना रहे हैं बाकी फिसड्डी है। सोनभद्र जिले में लगभग 20 से ऊपर छोटी बड़ी सरकारी और प्राइवेट कंपनिया है जिसमे एनटीपीसी बीजपुर, एनसीएल शक्तिनगर, हिंडाल्को एल्युमिनिय म इंडस्ट्रीज, हाई टेक कार्बन , अनपरा थर्मल पावर प्लांट, ओबरा थर्मल पावर प्लांट, आदित्य बिड़ला केमिकल्स , डाला सीमेंट फैक्टरी ,चुर्क सीमेंट फैक्टरी इत्यादि कई कंपनियां है लेकिन इन कंपनियों द्वारा अपने ही क्षेत्र के पिछड़े इलाकों में शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी,स्वास्थ्य ,पर खर्च करने में कोताही बरती जा रही हैं जिससे इसका लाभ नही मिल पा रहा है।सीएसआर कार्यक्रम को पूर्णतया पालन करने हेतु महीने में लगभग एक बार जिलाधिकारी महोदय की अध्यक्षता में अवश्य मीटिंग होती हैं लेकिन उसका पालन नहीं हो पा रहा है जबकि इस संदर्भ में 4 माह पहले इसी सत्र में भारतीय संसद ने व्यापार जगत के प्रमुखों को चेतावनी दिया था कि अगर वे वर्ष 2013 में पेश किए गए कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के प्रावधानों का पालन करने में विफल रहते है तो उन्हें 3 वर्ष की जेल की सजा हो सकती हैं। भाजपा नेता डीसीएफ चेयरमैन सुरेन्द्र अग्रहरि ने जिलाधिकारी महोदय से माँग किया है कि जिले में स्थापित सरकारी और गैर सरकारी कंपनियों के द्वारा अपने वार्षिक लाभांश का 2 प्रतिशत सामाजिक नैगमिक दायित्व के ऊपर खर्च करे जिससे आदिवासी व पिछड़े इलाकों में उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क,बिजली, पानी आदि सुविधाओं का लाभ मिल सके और उनका जीवन स्तर ऊँचा उठ सके।

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