बाज़ार से रसोईं तक रुलाता प्याज……

कुमार सावन की रिपोर्ट:-लातेहार

बाज़ार से रसोईं तक रुलाता प्याज…

रवाडीह/लातेहार:-क्या बिगाड़ा है हमने जो तू इस कदर रुला रही है ना तेरे बिन दालमें ताढका ना मटन में स्वाद आ रही है।फिर क्यो हो रही है,इतनी बावली,मौसम भी आयेगा तेरे नये पीढ़ी का,फिर किस तरह तू मुँह छुपायेगी।

प्याज हर रसोईं की जान… पर यही प्याज आज रुला रही है खून के आँशु,इसके बिन सब बेरंग….!
क्या कामकाजी एवं नॉकरी पेशा लोग साथ गृहणी सब को अपनी ताल पर नाचा रहा है प्याज।
प्याज की आसमान छूती भाव सब को कर रखा है बेदम।

बरवाडीह बाजार में कल थी 100 रुपये आज हो गई 150 रुपये।एक रात में इतने भाव तो सरकारी नॉकरी वाले दूल्हे की भी नही बड़ी,जितनी प्याज की बाद गई।
सरकार की गलत खाद्य नीति या जमाखोरों का है असर।गरीब जनता,मजदूर जो सतु,मिर्च,प्याज से अपनी दिहाड़ी काटते थे,उनकी मटिया मेट हो गईं।

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