पत्रकार समाज का आईना होता है उस आईने से समाज को दिशा मिलती है

DIGITAL BHARAT NEWS 24x7LiVE सह- संपादक- संतोष सिंह

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है 3 मई को विश्व स्वतंत्र पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है प्रेस की स्वतंत्रता पर लगातार चर्चा होती रहती है स्वतंत्रता के अर्थ को देखा जाए तो उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ सकते हैं संविधान के अनुच्छेद 19 में भारत में अभिव्यक्ति की आजादी को जो मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है इस स्वतंत्रता से जोड़ा जा सकता है भारत में प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है भारत की जो पत्रकारिता है वह बेचारी है वहीं दूसरी ओर जो पश्चिम की पत्रकारिता है वह तथ्यात्मक मापदंडों पर है लेकिन विश्व स्तर पर इसका समावेश नहीं हो पाता पत्रकारिता देश की प्रगति उत्थान और उसके उदय में अहम योगदान करती है आज विषम परिस्थिति में प्रेस का कार्य अत्यंत कठिन और दुष्कर है इस विषम परिस्थितियों में भी रह कर पत्रकार देश में घटित होने वाली घटनाओं का जीवंत चित्रण करके समाज को परोसता है समाज को जागरूक करने के लिए देश हित में सराहनीय कार्य पत्रकारों द्वारा किएजाते हैं आज देश में बाहरी तत्वों द्वारा जो आक्रमण किए गए जिसमें बहुत सारे पत्रकार दिवंगत हुए उनको श्रद्धांजलि देने का भी दिन है 3 मई विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस किस दिन प्रेस की आजादी के महत्व को दुनिया भर में बताया जाता है लोकतंत्र के मूल तत्व को और उसकी सुरक्षा को बहाल करने में मीडिया की अहम भूमिका है देश की सरकारों का अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की रक्षा और सम्मान करना कर्तव्य है सरकारों को पत्रकारों की पूर्ण सुरक्षा की चिंता करनी चाहिए आज के दौर में निष्पक्ष पत्रकारिता भी एक बड़ा सवाल है पत्रकारिता करने में समस्याएं भी बहुत है आज ताकतवर लोगों के के द्वारा विज्ञापनों को रोकना पत्रकारों को डराना धमकाना मारपीट हत्या तक जघन्य अपराध पत्रकारों के साथ किए जा रहे हैं ऐसी विषम परिस्थितियों में मजबूत कलेजा करके पत्रकार समाज को नई दिशा दे रहा है इस परिस्थिति में केवल सरकार ही पूर्ण सुरक्षा दे सकती है लोकतंत्र में तब पत्रकारों की भूमिका और अहम हो जाती है जहां एक और फर्जी खबर और सूचनाओं का दौर चल रहा हो तो उस समय निष्पक्ष पत्रकारिता करना कठिन होता है। मीडिया एक खबर वाहक का काम करती है जिसका उद्देश्य केवल गरमा गरम गरम खबर ही नहीं बल्कि शासन-प्रशासन और सरकार के प्रति समाज के प्रति जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम है प्रेस का महत्व पूरे विश्व में इसलिए भी बढ़ जाता है जो संकटों और परेशानियों से निकलकरशांति का एक दीपक जलाने का आह्वान करती है।
भारत में प्रेस की जिम्मेदारी ज्यादा है जहां एक और जातिवाद संप्रदायवाद गरीबी सामाजिक बुराई और संकुचित विचारों के लोग रहते हो उनके खिलाफ एक बड़ा संघर्ष है जिसमें प्रेस की जागरूकता अहम है।
कलम तभी उड़ान भरेगी जब स्वतंत्रता प्रेस की होगी।
आज का दिन और आज के दौर में पत्रकारों को भी आत्मचिंतन करना चाहिए कि हम अपने दायित्व का निर्वहन ठीक तरीके से कर रहे हैं कि नहीं आज इलेक्ट्रानिक चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने में लगे हैं वही प्रिंट मीडिया में जिसमें भाषाओं का बहुत महत्व होता है उसमें बहुत हल्का बनाया है शब्दों का चयन अत्यंत निचले स्तर के हो रहे हैं इस परिस्थिति में प्रेस को जनता का आईना बनना ना की जनता को गुमराह करना। जब नैतिक क्षरण समाज में हो तो पत्रकारिता की भूमिका अहम हो जाती है। किसी ने सच ही कहा है कि
न खींचो कमान, न तलवार निकाल
जब तोप हो मुकाबिल तब अखबार निकाल।

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