अधिकमास चल रहा है और इस दौरान आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व बहुत ज्यादा होता है। आज भी प्रदोष व्रत है। इस महीने में आने वाले व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन पूजा के बाद व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। आइए पढ़ते हैं प्रदोष व्रत कथा।
बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, एक पुरुष था जिसका नया-नया विवाह हुआ था। विवाह के मात्र 2 दिन बाद ही उसकी पत्नी मायके चली गई। कुछ दिन बाद वह पुरुष अपनी पत्नी को वापस लेने गया। इस दिन बुधवार था। बुधवार होने के चलते ससुराल पक्ष ने व्यक्ति को रोकने की कोशिश की। उनके अनुसार, विदाई के दिन बुधवार का दिन शुभ नहीं होता है। लेकिन उसे इस बात पर यकीन नहीं था इसलिए वो अपनी पत्नी के साथ चल पड़ा। जैसे ही वो नगर के बाहर तक पहुंचा तो उसकी पत्नी को प्यास लगी। वह अपनी पत्नी के लिए पानी लेने के लिए चल पड़ा। उसकी पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। कुछ देर बाद वो पानी लेकर वापस लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी हंस-हंसकर किसी से बात कर रही थी। वो उसी के साथ लोटे से पानी पी रही थी। यह देख उसे बेहद क्रोध आ गया।
जब वह अपनी पत्नी के पास गया तो वह बेहद चकित रह गया। उसने देखा कि उसी की शक्ल का आदमी उसकी पत्नी के पास बैठा है। दोनों को देख उसकी पत्नी गहरी सोच में पड़ गई। दोनों पुरुष झगड़ा करने लगे। दोनों को झगड़ता देख आस-पास भीड़ इक्ट्ठा हो गई। इतने में सिपाही भी आ गए। एक जैसे दो आदमियों को देखकर वो भी चकित रह गए।
सिपाहियों ने स्त्री से पूछा कि आखिर उसका पति कौन है। वह भी चकित थी। इस पर उसने शंकर भगवान से प्रार्थना की और कहा कि वो उसकी रक्षा करें। उसके पति ने कहा कि उनसे बड़ी भूल हुई कि सास-ससुर के मना करने के बाद भी वो अपनी पत्नी को बुधवार को विदा करा लाया। भविष्य में ऐसा कभी नहीं होगा।
व्यक्ति की प्रार्थना पूरी हुई और दूसरा व्यक्ति अंतर्ध्यान हो गया। पति-पत्नी दोनों ही सकुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से दोनों ही विधिपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत करने लगे। अत: बुध त्रयोदशी व्रत हर मनुष्य को करना चाहिए।
प्रदोष व्रत का महत्व:
मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति बेहद संतोषी और सुखी रहता है। इस दिन गाय दान करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति की हर मनकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति व्रत करता है उसे हरी वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए।