चंद्रकांता की अमर प्रेम की थाती विजयगढ़ खो रहा पहचान

सोनभद्र : नौगढ़ के युवराज संग चंद्रकांता की प्रेम कहानी से कौन अंजान होगा। ये कहानी जिला मुख्यालय से मात्र 25 किमी दूर विजयगढ़ किले की दरों-दीवारों की में रची बसी है। इसे राजा चेत सिंह ने बनाया था लेकिन अब प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यह स्थल अवशेष मात्र रह गया है। इस ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण पर सरकारों ने भी ध्यान नहीं दिया। ऐसा ही रवैया रहा तो आने वाले दिनों में यह तिलिस्मी किला महज इतिहास बनकर रह जाएगा। इस किले की पहचान मात्र मीरान शाह बाबा की मजार और राम-सीता सरोवर के चलते बची है। किले में जानने के लिए बहुत कुछ पांचवीं सदी में कोल राजाओं ने तिलिस्मी विजयगढ़ दुर्ग का निर्माण कराया था। इसकी खासियत है कि किले के अंदर से गुफा है।

यह नौगढ़ से चुनार गढ़ किले तक है। किले का खजाना भी इन्हीं गुफाओं में छिपे होने की संभावना लोगों द्वारा जताई जाती है। दुर्ग पर छोटे-बड़े सात तालाब हैं। इनमें रामसरोवर तालाब और सीता तालाब में कभी पानी नहीं सूखता। सीता तालाब मीरानशाह बाबा के मजार के ठीक सामने है। किवदंतियां यह भी हैं कि पहले यहां लोग घूमने आते थे तो तालाब से बर्तन निकलता था। खाना खाने के बाद उसे धोकर लोग उसी तालाब में छोड़ देते थे। किले के पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार है, जो धराशाई हो रहा है। गिर रहीं दीवारें, खत्म हो रहा अस्तित्व किले की दीवारें जगह-जगह गिर रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह से दीवारें गिर रही हैं उससे कुछ दिनों में इनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। किले के दक्षिण और पूर्व के कोने पर खिड़की का रास्ता है। ज्यादातर लोग इसी रास्ते से किले पर जाते हैं। यहां कुछ सीढि़यां भी बनी हैैं, लेकिन अधूरी हैं। जमीन से करीब पांच सौ मीटर ऊंचाई पर बने इस किले के अंदर जो कमरे बने थे वो खंडहर हो गए हैं। मऊ कला गांव में स्थित है यह किला  यह किला, मऊ कलां गांव में राब‌र्ट्सगंज-चर्च रोड पर स्थित है। इसका आधा क्षेत्र कैमूर रेंज की खड़ी चट्टानी पहाड़ियों से भरा हुआ है। इस किले की अनूठी विशेषता, किले में बने गुफा चित्र, मूर्तियां, चट्टानों पर लिखे शिलालेख और चार बारहमासी तालाब है। इस किले के पास दो लैंडमार्क स्थित है जिन्हें मीरा सागर और राम सागर के नाम से जाना जाता है। इन दोनों के मध्य रंग महल पैलेस है जो खूबसूरत चट्टानी नक्काशियों के लिए जाना जाता है। कांवरिया या शिव भक्त, अपने घरों से पैदल जाते हैं और राम सागर से पानी लेकर शिवलिग के ऊपर रखते है। यह यहां का प्रचलित रिवाज है। विजयगढ़ किला के संरक्षण के लिए जिला प्रशासन की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासन का पूरा प्रयास हैं कि उसको पर्यटन की दृष्टि से बेहतर बनाया जा सके।

-योगेन्द्र बहादुर सिंह, एडीएम।

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