औषधीय पौधों की धड़ल्ले से हो रही कटाई

बभनी (सोनभद्र) : वन क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में आबाद जंगल से जड़ी बूटी के पौधे विलुप्त होने के कगार पर हैं। क्षेत्र के जंगलों, पहाड़ों व नदियों में अंधाधुंध हो रहे खनन व कटान ने इन महत्वपूर्ण पौधों को नष्ट कर दिया है। बावजूद जिम्मेदार मूकदर्शक बने हुए हैं।

छत्तीसगढ़ सीमा से सटे बभनी वन क्षेत्र के इकदिरी, छिपिया, बजिया, रंदह, सागसोती, सहगोड़ा, घघरी के जंगलों में हर्रा, बहेरा, गुरुच, हड़जोड़, आंवला, चार आदि के पौधे बहुतायत मात्रा में पाए जाते थे। बनवासी तबका इसका उपयोग बीमारी के समय में करता था। ग्रामीण उदित, सुखलाल, देव कुमार बताते हैं कि कैसा भी बुखार हो गुरूच को पीस कर पिला देने से बुखार जड़ से खत्म हो जाता था। इसी प्रकार अन्य जड़ी बूटी भी वनवासियों के लिए वरदान साबित होती थी। हाल के कुछ वर्षों में खननकर्ताओं व कटान माफियाओं की कु²ष्टि जंगल पर लग गई। क्षेत्र में बन रही सड़क, पुलिया, सहित विकास कार्य तेजी से होता देख खननकर्ता जंगलों में खनन कराने लगे और बड़े वाहनों का प्रवेश जंगल में होने लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि छोटे-छोटे औषधीय जड़ी बूटी के पौधे विलुप्त होने लगे।

औषधीय पौधों को कुचल देते हैं ट्रैक्टर

क्षेत्र के आबाद सैकड़ों हेक्टेयर में फैले जंगल में ऐसी कोई जगह नही हैं जहां ट्रैक्टर न चलते हों। यही ट्रैक्टर औषधीय पौधों को कुचल देते हैं। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी वन विभाग व पुलिस को नहीं है। वन विभाग के किसी बड़े अधिकारी का दौरा होने पर खनन का पहिया रोक दिया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *