आचार्य सतीश जी अवस्थी ने जड़ भरत जी का सुंदर उपाख्यान कहते हुए महाराज जी ने बताया की जीवन में संघ का बहुत बड़ा महत्त्व है।

अजीतमल नगर के शीतला माता मंदिर पर चल रही श्री मद भागवत कथा में आचार्य सतीश जी अवस्थी ने जड़ भरत जी का सुंदर उपाख्यान कहते हुए महाराज जी ने बताया की जीवन में संघ का बहुत बड़ा महत्त्व है। हम जैसे वातावरण में रहते हैं। उसका असर जीवन में जरूर पड़ता है। एक मृग का साथ होने पर जड़ भरत जी को मृग बनना पड़ा। इसलिए जीवन में सब की सेवा करें। लेकिन दुनिया से ममता किसी से नहीं करनी चाहिए। वही अजामिल का चरित्र वर्णन करते हुए बताया की भगवान के नाम का अद्भुत महत्त्व है।अजामिल ने अपने पुत्र का नाम जीवन के अंत समय में पुकारा तो भगवान के पार्षद अजामिल को यमदूतओं से छुड़ाकर भगवान के धाम ले गए । भाव से या को भाव से चाहे जैसे हरिका नाम लिया जाए भगवान का नाम जीव का सदैव कल्याण करता है। जैसे अग्नि चाहे जानकर लगाई जाए अथवा अनजाने में लग जाए । अग्नि सब कुछ जलाकर भस्म कर देती है। उसी प्रकार भगवान का नाम चाहे जान कर लिया जाए अथवा अनजाने में लिया जाए प्रभु नाम सारे पापों को जला कर के भस्म कर देता है। 

         प्रहलाद चरित्र का वर्णन करते हुए आचार्य ने कहा कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हुए मान बढ़ाते हैं , l भक्त प्रहलाद के कहने पर भगवान खंभे से प्रकट होकर अपने भक्तों की रक्षा किए थे , हमारी भावना यदि अच्छी है तो भगवान हमें कहीं भी मिल सकते हैं l भक्त और भगवान के बीच में अहंकार रूपी दिवार ही तो बाधा बनकर खड़ी हो जाती है l

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