होलिका दहन की राख से धूलेटी के दिन , पिंडियां बनाकर 18 मार्च से सोलह दिवसीय दिवसिय “गणगौर” पूजन की शुरुआत की गई थी

सूरत से प्रेम कुमार की रिपोर्ट

सूरत. सोलह दिवसीय लोक पर्व गणगौर की रंगत अब शहर के प्रवासी राजस्थानी बहुल क्षेत्रों में जमने लगी है। शीतलाष्टमी शुक्रवार से ही परंपरागत बिंदोळे, गुडला सवारी, सामूहिक गणगौर उत्सव आदि के आयोजन शहर के विभिन्न क्षेत्रों में होने लगे हैं।

इनमें सजी-संवरी महिलाओं के साथ युवतियां व छोटी-छोटी बच्चियां भी सामाजिक रीति-रिवाज को सीखने समझने लगी है।

लोकपर्व गणगौर की धूमधाम शहर के परवत पाटिया, गोडादरा, उधना, टीकमनगर, पुणागांव, डिंडोली, भटार, घोड़दौडऱोड, सिटीलाइट, अलथान, वेसू समेत अन्य प्रवासी राजस्थानी बहुल क्षेत्र में दिखने लगी है। शुक्रवार को शीतलाष्टमी के साथ ही शहर में लोक पर्व गणगौर के बिंदोळे, गुडला सवारी, सामूहिक गणगौर उत्सव आदि के आयोजनों की शुरुआत जगह-जगह होने लगी। शनिवार को सुबह से ही गणगौर पर्व की धूमधाम देखने को मिली जो कि रात्रि में देर तक लोक गीत गूंजते रहे

-लवली एंड पार्टी के ठुमके
गणगौर के बिंदोळा आयोजनों में राजस्थान के आमंत्रित कलाकार भी शामिल होने लगे हैं। शनिवार को वेसू स्थित श्रीश्यामरचना सोसायटी प्रांगण में आयोजित बिंदोळा कार्यक्रम में राजस्थान के जाडन की लवली एंड पार्टी के कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। इसी तरह से अन्य कई स्थानों पर सामूहिक रूप से गणगौर उत्सव भी शनिवार को मनाया गया और वहां महिलाओं व युवतियों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।

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