राधे – राधे
॥ आज का भगवद चिन्तन
भाई दूज का पावन पर्व एक नारी के स्नेह, प्रेम एवं समर्पण को स्मरण कराने का पावन दिवस है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन बहुत समय से एक दूसरे से दूर भगवान सूर्य पुत्र यम और पुत्री माँ यमुना जी का मिलन हुआ था। कभी अपनी रक्षा के संकल्प लिए भाई के हाथों पर रक्षा सूत्र बाँधने वाली नारी आज भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसे यम पाश से मुक्त कराने तक की अपनी सामर्थ्य का परिचय देती है।
माँ, पुत्री, पत्नी, बहन और भी कई रूपों में नारी का पूरी मनुष्य जाति के लिए जो प्रेम, त्याग, समर्पण है वह अकथनीय है। पति के लिए करवाचौथ, पुत्र के लिए अहोई अष्टमी, और अब भाई की रक्षा एवं सुखी-समृद्धि के लिए भाई दूज का पर्व एक नारी की महानता को ही व्यक्त करता है।
धन्य है इस नारी के लिए, पूरे साल पुरुषों के लिए व्रत, पूजा, प्रार्थना, उनकी सलामती के लिए कुछ ना कुछ करती रहती हैं। आज के इस पावन दिवस पर सभी भाईयों को भी समाज की समस्त बहनों के सम्मान, सुरक्षा एवं अस्मिता की रक्षा का संकल्प लेना होगा यही भाई दूज के पावन पर्व की सार्थकता है।
भाई – बहन के पवित्र स्नेह – प्रेम के पावन पर्व भाई दूज की आप सभी को मंगल बधाई।
संजीव कृष्ण ठाकुर जी
श्रीधाम वृन्दावन