पते की बात:नगरनिगम चुनाव – कहीं भ्रष्टाचार के नाले में पवित्र स्नान का पर्व तो नही.

पते की बात : नगरनिगम चुनाव – भ्रष्टाचार के नाले में पवित्र स्नान का पर्व

नगरनिगम के चुनाव निकट भविष्य में प्रस्तावित है। सैकड़ों गोताखोर इस गंदले नाले में कूदने को तैयार है, कुछ तैरेंगे, कुछ तरेंगे, बहुत से डूबेंगे भी।

क्षमा चाहता हूँ, बहुत खराब शब्दों का प्रयोग कर रहा हूँ, किन्तु विगत 30 वर्षों में जो कथानक इस नगरनिगम ने लिखा है, मुझे यह शब्द भी हल्के लग रहे है। जनता के धन को राजनेताओं मेयर सभासदों की साझेदारी से बंदरबांट का घिनौना खेल।

भारतीय जनता पार्टी ने घोषणा कर दी है कि वह प्रदेश में सभी नागरिक निगम चुनाव जीतेगी, निश्चित जीतेगी क्योंकि नगरनिगमों की सीमाओं को बढ़ाकर उनकी डेमोग्राफी बदल दी गयी है (जहां भाजपा की हार की संभावना है) और भाजपा के चुनाव धुरंधरों ने सोशल मीडिया पर अलीगढ़ में हिन्दू नेता को मेयर प्रत्याशी बनने की चर्चा भी शुरू कर दी है। क्योंकि चुनाव जनसमस्याओं के समाधान पर या महानगर को उत्तम महानगर बनने को लेकर तो होते नहीं है।

खेल सीधा सा है, भाजपा को हिन्दू प्रत्याशी खड़ा करना है, शेष मतदाताओं के लिए एक मुस्लिम प्रत्याशी, वोटों का साम्प्रदायिक विभाजन और परिणाम बाहर।

किन्तु यह बात आज तक मेरे भेजे में नहीं आयी कि स्थानीय निकाय के चुनाव जनसमस्याओं के समाधान के लिए जनप्रतिनिधि चुनने के लिए होता है या नगर निकाय के 40 प्रतिशत कमिशन में से 5 प्रतिशत हिस्सा खाने के लिए, स्टडी टूर के नाम पर मौत मस्ती करने के लिए ।

स्थानीय निकाय के वर्तमान दौर में एक चेयरमैन, चार भाजपा के मेयर तथा एक मेयर बसपा का बनने के बाद अलीगढ़ को मिला क्या ? बाबा जी का ठुल्लू ।

आज स्थिति यह है कि भाजपा की वर्तमान विधायिका को पानी की समस्या को लेकर नगर निगम के अधिकारियों के विरुद्ध धरने पर बैठना पड़ा और य़ह स्थिति तब है, जब प्रदेश में भाजपा की सरकार, माननीया विधायिका के पति निवर्तमान विधायक और पार्टी ने निरन्तर 20 वर्ष निगम को चार भाजपा मेयर दिए हैं।

तो फिर क्या कोई जन समस्या यहाँ शेष रहने चाहिए थी, नहीं ना……फिर

पूरा अलीगढ़ पेयजल को लेकर डार्क जॉन में है, पानी की मात्रा ही नहीं गुणवत्ता भी गिर रही है, महानगर शनैः शनैः कूडे के ढेर में बदल रहा है, कहीं भी गीला कूड़ा सूखा कूड़ा उठ नहीं रहा, रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति कोई गंभीर नहीं, ना वृक्षारोपण के प्रति, सब काम कागजों पर, यातायात व्यवस्था बहुत कमाल, पोलीथीन का प्रयोग कोई समस्या, यह ही नहीं, नाले सफाई पर करोड़ों रुपये जनता के ठिकाने लगा दिए जाते हैं किन्तु NGT कहें या माननीय सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायलय किन्तु डेयरी बाहर नहीं की जाएगी।

ई-रिक्शा, महानगर में जितने होने चाहिए उससे 10 गुणा है, क्योंकि 600 ₹ महीने की अवैध वसूली है अर्थात लगभग 2 करोड़ मासिक की वसूली है, सड़कों पर सरकारी संरक्षण में मोटर साइकिल स्टेंड चलाए जा रहे हैं। भाजपा के जनप्रतिनिधि और नेताओं के संरक्षण में पोखरे तालाब सुकड़ रहे है, नगर निगम की अरबों रुपये की नजूल की जमीन के वारे न्यारे हो गये।

जिसको जहां चाहे वहाँ अतिक्रमण कर रहा है, सीवर व्यवस्था शून्य है, सीवेज सिस्टम शून्य, वर्षा निकासी व्यवस्था शून्य, सड़कों पर वेंडर जॉन नदारत। एक काम जो बड़ी तत्परता से होता है, वह है गृह-कर के नाम पर अवैध वसूली। होल्डिंग्स के ठेके में भ्रष्टाचार का खेल अगल चल रहा हैं, भाजपा के एक माननीय सीधे तौर पर इस घोटाले से जुड़े हैं।

अलीगढ़ की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मीट खाती है किन्तु कोई व्यवस्था है नहीं, अवैध कट्टी धड़ाधड़ चल रहीं है खुले में मीट बिकता है और भी कमाल की चीज़ य़ह है मीट माफिया के विरुद्ध वारंट है किन्तु हमारे योगी जी पुलिस को वह मिल ही नहीं रहा।

लब्बोलुआब यह है कि नगर निगम में खुला भ्रष्टाचार है, बोलेगा कोई नहीं, भीषण जन समस्याएं हैं किन्तु समाधान कोई नहीं करेगा।
किन्तु चुनाव तो होंगे ही, जीत हार भी होगी, किन्तु जनता को मिलेगा क्या?
भैया! यह चुनाव तुम्हारे लिए नहीं पैसे की लूट के लिए होते हैं।
विचार ~अशोक चौधरी
आहुति-अध्यक्ष

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