श्रीकृष्ण जन्मलीला देख दर्शक हुए भावविभोर * धर्म की रक्षा व पापियों के दमन हेतु श्रीकृष्ण ने लिया जन्म, कारागार में देवकी व बसुदेव को कराया अपने चतुर्भुज रूप का दर्शन

उपेन्द्र कुमार तिवारी ब्यूरो सोनभद्र

दुद्धी-सोनभद्र। स्थानीय तहसील मुख्यालय पर चल रहे श्रीरासलीला मंचन के दूसरे दिन कंस अत्याचार व श्रीकृष्ण जी के जन्म की लीलाओं का मनोरम मंचन वृंदावन के रासबिहारी मण्डली कलाकारों द्वारा किया गया। मथुरा में एक उग्रसेन नाम के बहुत ही प्रतापी राजा हुए थे,उनका एक पुत्र कंस व एक पुत्री देवकी थी,जिसे कंस बहुत अधिक स्नेह करता था। समय बीतता व बदलता गया। राजा उग्रसेन ने देवकी का विवाह राजकुमार बसुदेव जी के साथ तय किया। वैदिक रीतिरिवाजों व परम्पराओं से विवाह संपन्न हुआ। अपनी छोटी बहन को कंस स्वयं विदा करने बसुदेव जी के साथ गया। रथ पर बसुदेव जी व देवकी तथा सारथी के रूप में कंस। जैसे ही कंस अपने राज्य की बाहरी सीमा के करीब पहुँचा की अचानक आकाशवाणी हुई,कि “”ये कंस जिस देवकी को तू इतने प्यार दुलार से बिदा करने जा रहा है उसी देवकी का आठवां पुत्र तेरा काल होगा,वही तेरा अंत करेगा वही तुझे मारेगा”” इतना सुनते ही कंस बेकाबू हो कर अपनी बहन को ही मार देने के लिए हाथ मे तलवार खिंचता है कि उसे बसुदेव जी रोक लेते हैं और कहते हैं कि आपको खतरा देवकी की संतान से है नकी देवकी से,तो मैं बसुदेव आपको वचन देता हूं कि मैं देवकी के सभी संतान को आपको लाकर दे दूंगा आप चाहे जो कीजिये। इतना सुनकर कंस थोड़ा शांत होता है लेकिन बसुदेव व देवकी को कारागार में बंद कर देता है।साथ ही अपने पिता को भी कारागार में डाल कर अपने को मथुरा का राजा घोषित कर लेता है।
समय बीत चलता है बसुदेव जी देवकी की छः संतानों को कंस को दे आते हैं, कंस उसे पटक कर मार देता है, सातवी सन्तान के समय गर्भ क्षीण होने की सूचना कंस को बसुदेव जी देते हैं।
अब समय था आठवीं संतान की, कंस के अत्याचार से थर्रायी पृथ्वी श्री हरि विष्णु के पास जाकर अपनी दुख को प्रकट करती है और प्रभु से कहती है कि अब हम कंस के अत्याचार को सहन नही कर सकते। हमारा आँचल छोटे छोटे बच्चों के रक्त से भीग चुका कुछ कीजिये प्रभु।
पृथ्वी के करुण पुकार पर श्री हरि विष्णुजी ने कहा कि अब समय आगया है कि मैं भू लोक पर अवतरित होकर धर्म की रक्षा करूँ।
धरती माँ को वचन देकर भगवान श्रीहरि विष्णु ने भाद्रपद कृष्ण पक्ष के अष्ठमी तिथि के दिन वृष लग्न,रोहिणी नक्षत्र दिन रविवार के मध्य रात्रि के समय अवतार लिया,अपने चतुर्भुज स्वरूप का दर्शन देकर बसुदेव व देवकी को यह निर्देश दिया कि जब मैं बालक रूप में होऊं तो मुझे ब्रज में बाबा नन्द के घर पहुँचा देना व वहा उनके घर से एक कन्या जो मेरे साथ ही प्रकट हुई है उसे अपने साथ ले आना। इतना कह कर श्रीहरि बाल्य रूप में आते हैं तब पूरे संसार मे श्रीकृष्ण के जन्म की बात पता चलती है।
इधर श्रीकृष्ण को अपनी संतान के रूप में पाकर बसुदेव जी काफी प्रसन्न हुए व प्रभु की आज्ञा अनुसार उन्हें लेकर ब्रज की ओर चल दिये,जैसे ही बसुदेव जी नन्हे कृष्ण को गोद मे लेकर आगे बढ़े उनके पैरों की बेड़िया खुल जाती हैं व सभी दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं। अब बसुदेव जी नन्हे बालक को लेकर यमुना के किनारे आ गए विचार आया कि कैसे यमुना पार हो।पर आत्मप्रेरणा से वह यमुना में प्रवेश कर बालक को सुप में लिटा कर आगे जाने लगते हैं कि यमुना जी जो श्रीहरि की पटरानी हैं, जब इन्हें ज्ञात हुआ कि मेरे स्वामी मेरे घर आये हैं तो वह उनके दर्शन व चरण स्पर्श के लिये तेजी से पहुँचती,उनके तीब्रता व वेग से यमुना जी का जल प्रवाह भयंकर हो जाता है परंतु जैसे ही वह प्रभु का दर्शन व स्पर्श प्राप्त करती हैं उनका जल शांत व कम होता जाता है।
अब बसुदेव जी बालक कृष्ण को लेकर नन्द बाबा के घर पहुँचते हैं वहां पर इक नन्ही कन्या थी जिसे वह अपने साथ लेकर आते हैं।
अब सब पहले जैसा हो जाता है, की तभी सैनिकों के कान में नन्हे बालक के रोने की आवाज पड़ती है । सैनिक आठवें बालक के जन्म का समाचार कंस को देतें है कंस उसे मारने के लिए कारागार में स्वयं आता है और बसुदेव जी से उस बालक को मांगता है तो देवकी कहती है कि भैया आकाशवाणी के अनुसार मेरा आठवां बालक आपके लिए खतरा है यह तो कन्या है यह आपकी शत्रु नही हो सकती। पर कंस एक नही सुना उसने देवकी की गोद से उस नन्ही सी कन्या को केश पकड़ कर खिंचा और जैसे ही उसे शिलापट्ट पर पटकना चाहा कि वह नन्ही कन्या ने अष्टभुजाधारि माँ जगदम्बा का स्वरूप धारण कर आकाश मण्डल से भीषण गर्जना करते हुए कहा””ये कंस तू मुझे क्या मारेगा तुझे मारने वाला तो ब्रज में जन्म ले चुका है””। ऐसा कह माँ अंतर्ध्यान हो गयी कंस हाथ मलता रह गया और उसने बसुदेव व देवकी को पुनः कारागार में डाल दिया।
उधर जब ब्रज के लोगो को पता चला कि वयोवृद्ध बाबा नन्द व यशोदा के घर एक बालक का जन्म हुआ है तो पूरे नन्द गावँ में उत्सव का माहौल है।
इस प्रकार आज श्रीकृष्ण जन्म की लीला का मंचन हुआ।इससे पूर्व पट्ट खुलने पर भगवान राधामाधव का पंचोपचार पूजन आयोजन समिति के संरक्षक व सदस्यों व सम्मानित दर्शकों द्वारा किया गया। सुरक्षा व्यवस्था में स्थानीय पुलिस मुश्तैद रही।

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