सोनभद्र में मिला सोने का भंडार

सोनभद्र में मिला सोने का भंडार
यूं ही नही पड़ा जनपद के नाम सोनभद्र,

आज भी अनेको रहस्य छुपे हैं इस माटी के कोख में
नीलामी प्रक्रिया से पूर्व जिओ टैगिंग की कार्रवाई शुरू

जिओ टैगिंग के लिए 7 सदस्यीय टीम 22 फरवरी तक शासन को सौंपेगी रिपोर्ट

संवाददाता- उपेन्द्र कुमार तिवारी (ब्यूरो दुद्धी/ सोनभद्र / उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नंबर- +919451228649

15 साल से कम कर रही थी जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम
दुद्धी, सोनभद्र।
जनपद के अलग अलग क्षेत्रों में 3 हजार टन सोने की खान मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 2 जगह सोने के अयस्क मिले है। यह सोना जमीन के अंदर दबा हुआ है। खानिज विभाग ने सोने का पता लगाया है। जल्द ही इस सोने को निकालने का काम शुरू होने की सम्भावना है।
इनके खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया से पूर्व जिओ टैगिंग की कार्रवाई शुरू की गइ है।


जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम पिछले 15 साल से यहां काम कर रही थी। टीम ने आठ साल ही पहले जमीन के अंदर सोना होने की पुष्टि कर दी थी। प्रदेश की सरकार ने अब तेजी दिखाते हुए सोने को बेचने के लिए ई-नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है।सोनभद्र में सोने के उत्खनन का रास्ता साफ होने से पहले खनिज निदेशालय जिओ टैगिंग करवा रहा है।
जिओ टैगिंग के लिए शासन ने 7 सदस्यीय टीम गठित की है।यह टीम 22 फरवरी तक शासन को रिपोर्ट सौंपेगी। जिसके बाद ब्लाकों की नीलामी की प्रक्रिया योगी सरकार द्वारा की जाएगी। वैज्ञानिकों को महुली में 2943.26 टन और सोन पहाड़ी में 646.15 किलोग्राम सोने का भंडार मिला है।
2005 से जीएसआई की टीम सोने की तलाश के लिए काम कर रही थी। टीम ने गहन अध्ययन करने के बाद सोनभद्र में सोना होने के बारे में बताया था और वर्ष 2012 में इस बात की पुष्टि भी कर दी थी। टीम ने बताया था कि सोनभद्र की पहाड़ियों में सोना मौजूद है। जीएसआई के अनुसार हरदी क्षेत्र में 646.15 किलोग्राम सोने का भंडार है, वहीं सोन पहाड़ी में 2943.25 टन सोने का भंडार है। प्रदेश की सरकार ने हुए सोने के ब्लाक के आवंटन के संबंध में प्रक्रिया शुरू कर दी है। सोनभद्र के कोन क्षेत्र के हरदी गांव में और गुरमुरा क्षेत्र के सोन पहाड़ी में सोने का एक बड़ा भंडार मिलने की पुष्टि हो चुकी है. ई-टेंडरिंग के माध्यम से ब्लाको के नीलामी के लिए शासन ने सात सदस्यीय टीम भी गठित कर दी है। यह टीम पूरे क्षेत्र की जिओ टैगिंग करेगी और 22 फरवरी, 2020 तक अपनी रिपोर्ट भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय लखनऊ को सौपेगी।
सरकार द्वारा गठित टीम जिओ टैगिंग करने के बाद ई-टेंडरिंग के जरिए ब्लॉक्स की नीलामी प्रक्रिया शुरू करेगी। टीम 22 फ़रवरी को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी।

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