वृन्दावन । शीतकालीन सेवा महोत्सव में निकुंज का आनंद ले रहे ठा.राधारमण लाल निकुंज में विराजमान होकर भक्तों को निहाल कर रहे हैं। मंदिर के सेवायत देवांशु गोस्वामी ने बताया कि फूलों से सुसज्जित यह कुंज निकुंज की अनूठी झांकियों में से एक है।
वृन्दावन के देवालयों में अपने प्रिया-प्रियतम को लाड़ लड़ाने की परंपराओं में से फूलबंगला कला अपना विशिष्ट स्थान रखती है। जिस प्रकार गर्मियों को ठाकुरजी को शीतलता प्रदान करने के लिए मोगरा के फूलों एवं केले के तनों को काट-छीलकर ग्रीष्मकालीन निकुंज सजाई जाती हैं। उसी प्रकार शरद ऋतु में सर्दी के बंगले सजाए जाने की परंपरा है, जो विशेषकर ठा.राधारमण मंदिर में अक्सर देखने को मिलते हैं।
अनुभूति कृष्ण गोस्वामी ने बताया कि ठा.राधारमण लाल के शीतकालीन सेवा महोत्सव में राग, भोग और श्रृंगार पर विशेष जोर दिया जाता है। दिव्य महोत्सव में सर्दी के बंगले विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं। जिसमें मखाने की झालर, सूखे मेवाओं के बंगले, बंगाल के विशेष वृक्ष सोला, सूखे अनाज-दाल, मसाले, पत्तल, कीमती नग, झाड़-फनूस के बंगले शामिल हैं। जिसमें ठा.राधारमण विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दे रहे हें।
सात दिन चलने वाली इस सेवा में ठाकुर जी विभिन्न प्रकार के स्वरूपों में दर्शन देंगे। इसके साथ ही प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भजन संध्या का भी आयोजन किया जाएगा। आज चंडीगढ़ निवासी कान्हा बंधुओं के द्वारा ठाकुर जी के समक्ष भजन प्रस्तुत किए गए। जिसे सुनकर श्रोता भक्ति भाव में नाचने लगे।