एक बार फिर बांके बिहारी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ ने ध्वस्त की प्रशासन की व्यवस्थाएं.

एक बार फिर बांके बिहारी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ ने ध्वस्त की प्रशासन की व्यवस्थाएं

बाहर से आए हुए श्रद्धालुओं ने प्रशासन की व्यवस्थाओं पर व्यक्त किया अपना रोष

भीड़ के दबाव में फंसे बुजुर्ग, बीमार और नन्हे मुन्ने बच्चे

वृंदावन । श्री धाम वृंदावन में इन दिनों बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ ने रिकॉर्ड तोड़ रखा है। आए दिन बांके बिहारी मंदिर और वृंदावन की गलियों में श्रद्धालुओं की भारी-भरकम भीड़ देखने को मिलती है। ऐसा ही नजारा मंगलवार को बांके बिहारी मंदिर पर देखने को मिला। जहां भक्तों की भीड़ ने प्रशासन की व्यवस्थाओ को ध्वस्त कर दिया। आपको बताते चलें कि मंगलवार को महावीर जयंती होने के कारण सरकारी अवकाश था। जिसके चलते बाहर से आए हुए श्रद्धालुओं ने मथुरा पुलिस प्रशासन और मंदिर प्रबंधन के द्वारा बनाई गई व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। वही बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ ने अपना आपा खो दिया और कुछ श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर के बाहर बनी रेलिंग पर चढ़ गए और कुछ श्रद्धालु आपस में धक्का-मुक्की करने लगे। साथ ही कुछ महिला श्रद्धालुओं के साथ छोटे नन्हे मुन्ने बच्चे भीड़ में रोने लगे। वही कुछ बीमार लोग भी भीड़ को देखकर परेशान हो गए। आए दिन देखा जा रहा है, कि बांके बिहारी मंदिर पर बाहर से आए हुए श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव बना ही रहता है और इसमें बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ बुजुर्ग, बीमार और बच्चे परेशान होते हैं। साथ ही कुछ व्यापारियों का कहना है, कि इस भीड़ के चलते वह अपना व्यापार भी सही तरह नहीं कर पा रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का तो कहना है, कि मथुरा प्रशासन स्वयं ही भीड़ को संभालने में नाकाम है। मथुरा प्रशासन के द्वारा मंदिर के आसपास ऐसी व्यवस्थाएं बना दी गई है, कि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का जमघट लग जाता है और वह प्रशासन के द्वारा बनाई गई व्यवस्थाओं में फस जाते हैं। साथ ही बाहर से आने वाले श्रद्धालु भी प्रशासन के द्वारा बनाई गई व्यवस्थाओं पर अपना रोष व्यक्त करते नजर आते रहते हैं। वही कई बार तो श्रद्धालुओं का पुलिसकर्मियों और मंदिर में तैनात निजी सुरक्षाकर्मियों से झगड़ा भी हो जाता है। आए दिन झगड़े की वीडियो सोशल मीडिया के जरिए जनता को देखने को भी मिलती है, लेकिन उसके बावजूद भी प्रशासन बांके बिहारी मंदिर पर बेहतर व्यवस्थाएं बनाने में असफल है।

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