राधे – राधे
॥ आज का भगवद् चिंतन॥
॥ मंगल बधाई ॥
आज वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को भगवान श्रीविष्णु के दो अवतारों का प्राकट्य हुआ है। एक हैं भगवान कूर्म और एक हैं भगवान बुद्ध। भगवान का जब भी अवतरण होता है, किसी विशेष प्रयोजनार्थ ही होता है।
समुद्र मंथन के समय देवताओं के कार्य को साधने के लिए भगवान श्री विष्णु ने कूर्मावतार अथवा कछुए के रूप में अवतार धारण किया और समुद्र में डूबते हुए मंदराचल पर्वत का भार अपने पीठ पर धारण करके देवताओं का कार्य सिद्ध किया।
युवराज सिद्धार्थ ने भी सभी तरह के विषय भोगों का त्याग करके जन कल्याण के लिए अपने संपूर्ण ऐश्वर्यों और राजसी सुखों को अपनी कठोर तपोग्नि में स्वाहा करके आत्मज्ञान प्राप्त कर “अप्प दीपो भव” का उद्घोष जन – जन तक पहुँचाकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। बुद्ध सरल थे मगर बुद्ध बनने का मार्ग कदापि सरल नहीं था।
श्री हरि विष्णु के द्वितीय अवतार भगवान कूर्मावतार व तेइसवें अवतार भगवान बुद्धावतार और श्री राधारमण लाल जू के प्राकट्य उत्सव की आप सभी को अनंत शुभकामनाएं एवं मंगल बधाई।
गौभक्त डॉ. संजीव कृष्ण ठाकुर जी
श्रीधाम वृन्दावन